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भारत में 1857 की क्रांति

 

भारत में 1857 की क्रांति: एक संक्षिप्त परिचय

1857 की क्रांति, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला प्रयास माना जाता है, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ भारतीय सैनिकों और आम जनता द्वारा किया गया एक बड़ा विद्रोह था। इसके कई महत्वपूर्ण तथ्य और घटनाएँ हैं, जो इस ऐतिहासिक घटना को समझने में मदद करती हैं।

 महत्वपूर्ण तथ्य

1. नेतृत्व और भागीदारी
बहादुरशाह II ज़फर

दिल्ली में विद्रोह का नेतृत्व किया। उन्हें गिरफ्तार करके रंगून भेजा गया, जहाँ 1862 में उनकी मृत्यु हुई।
नाना साहब और बेगम हज़रत महल: दोनों ने नेपाल की ओर भाग लिया

लक्ष्मीबाई: झांसी की रानी, जिन्होंने ग्वालियर के लिए लड़ाई की और वीरगति को प्राप्त हुई।

2. साहसिक कथन:
ह्युरोज ने लक्ष्मीबाई के बारे में कहा, “यहाँ सोये हुए सिपाहियों में एकमात्र मर्द लक्ष्मीबाई है।”
सुभद्रा कुमारी चौहान ने उन्हें “झांसी वाली रानी” कहा।

3. सहयोग:

तात्या टोपे ने नाना साहब और लक्ष्मीबाई का सहयोग किया, लेकिन विश्वासघात के कारण पकड़े गए और 1859 में फांसी दी गई।

भारत में 1857 की क्रांति

असफलता के कारण

– कुशल नेतृत्व का अभाव
– संगठन में कमी
– समय पूर्व विद्रोह
– संसाधनों की कमी
– राजाओं का अंग्रेजों के साथ सहयोग

 विद्रोह का स्वरूप

सैनिक विद्रोह: युरोपिय इतिहासकार इसे सैनिक विद्रोह मानते हैं।
राष्ट्रीय विद्रोह: भारतीय इसे राष्ट्रीय विद्रोह मानते हैं; इसे “द ग्रेट रिबेलियन” कहा गया।

प्रमुख घटना स्थल

स्थान | नेता 

दिल्ली | बहादुरशाह ज़फर
लखनऊ | नाना साहब, बेगम हज़रत महल
झांसी | लक्ष्मीबाई

जगदीशपुर | कुँवर सिंह
बरेली | खान बहादुर खां
इलाहाबाद | लियाकत अली
फैजाबाद | मौलवी अहमदुल्ला

भारत में 1857 की क्रांति
भारत में 1857 की क्रांति

परिणाम

1. ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त: भारत की शासन व्यवस्था ब्रिटिश संसद के अधीन आ गई।
2. भारत सचिव का पद सृजित: चार्ल्स वुड पहले भारत सचिव बने।

 राजपुताना में अंग्रेजों का हस्तक्षेप  भारत में 1857 की क्रांति

– 17वीं सदी में मुगलों की कमजोर होती सत्ता और मराठों के आक्रमणों ने राजपुताना के शासकों को अंग्रेजों से संधियां करने पर मजबूर किया।
संधियों का उदाहरण:
वैलेजली की सहायक संधि(1798-1805)
लॉर्ड हेस्टिंग की आश्रित पार्थक्य की संधि (1813-1823)

इन संधियों के तहत राजपुताना में अंग्रेजों की सैनिक छावनियाँ स्थापित की गईं भारत में 1857 की क्रांति और राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ा।

निष्कर्ष

1857 की क्रांति भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने न केवल ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का आधार रखा, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना। यह घटना भारतीय समाज में जागरूकता और एकता की भावना को भी बढ़ावा देने वाली थी।

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